शब्द का अर्थ
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धम :
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स्त्री० [अनु०] भारी चीज के गिरने का शब्द। धमाका। जैसे—धम से गिरना। पद—धमसे=(क) धम शब्द करते हुए। धड़ाम से। (ख) धमाधम। (ग) निरंतर। लगातार। पुं० [सं०] १. ब्रह्मा। २. यम। ३. चन्द्रमा। ४. श्रीकृष्ण का एक नाम।। |
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धम-गजर :
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पुं० [अनु० धम+सं० गर्जन] १. उत्पात। ऊधम। उपद्रव। २. ऐसी लड़ाई-झगड़ा, जिसमें मार-पीट भी हो। |
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धम-धम :
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पुं० [सं०] कार्तिकेय के गण जो पार्वती के क्रोध से उत्पन्न हुए थे। (हरिवंश) क्रि० वि०=धमाधम। |
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धम-धूसर :
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वि० [अनु० धम+सं० धूसर=मटमैला, या गंदला] बहुत भद्दा या मोटा। स्थूल और बेडौल। |
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धमक :
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स्त्री० [हिं० धमकना] १. धमकने की क्रिया या भाव। २. किसी भारी चीज के जमीन पर गिरने के कारण होनेवाला वह धम शब्द जिसके साथ जमीन में हलका कंपन भी हो। जैसे—फरश पर किसी चीज के गिरने या किसी के चलने से होने वाली धमक। ३. वह कंप जो भारी चीज के गिरने, चलने आदि से आस-पास के स्तर पर होता है। जैसे—रेल के चलने से आस-पास की जमीन में होनेवाली धमक। ४. आघात। प्रहार। ५. रोग, विकार आदि के कारण शरीर के किसी अंग में होनेवाला हलका कष्ट-दायक कंप या संवेदन। जैसे—बुखार के कारण सिर में (या सारे शरीर में) होनेवाली धमक। ६. रास्ते में पड़नेवाला गड्ढा। (पालकी ढोने वालों की परिभाषा में) वि० [सं०] [स्त्री० धमिका] धौंकनेवाला। पुं० लोहार। |
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धमंकना :
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स० [हिं० धौकना] १. न रहने देना। नष्ट करना। उदा०—काटित पातक ब्यूह विकट जम-जूह धमंकति।—रत्नाकर। २. दे० ‘धौंकना’। |
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धमकना :
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अ० [हिं० धमक] १. गिरने के कारण धम शब्द होना। २. उक्त प्रकार के शब्द के कारण कुछ-कुछ काँपना या हिलना। ३. सहसा भारी बोझ पड़ने से हिलते हुए दबना। उदा०—चरण भार से सुदृढ़ धरा कँप गई धमक कर।—मैथलीशरण। ४. यौगिक क्रिया के रूप में, आना और जाना क्रियाओं के साथ लगने पर वेगपूर्वक इस प्रकार गमन करना कि लोग कुछ डरकर सहम जाएँ। जैसे—इतने में पुलिस वाले वहाँ आ धमके। ५. रह-रहकर हलका आघात और उसके कुछ साथ कंप-सा होता हुआ जान पड़ना। जैसे—बुखार में सिर धमकना। स० इस रूप में आघात करा या दंड देना कि वह कुछ अनुचित या उग्र-सा जान पड़े। जैसे—(क) उन्होंने बिना सोचे-समझे उसे एक मुक्का धमक दिया। (ख) अदालत ने उन्हें सौ रुपये जुर्माना धमक दिये। स०= धौंकना।a |
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धमका :
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पुं० [सं० धमा] उमस। गरमी। उदा०—धमका विषम ज्यौं न पात खरकत हैं।—सेनापति। |
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धमकाना :
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स० [हिं० धमकी+आना (प्रत्य०)] यह कहना कि यदि तुम ऐसा काम करोगे (अथवा अमुक काम न करोगे) तो हम तुम्हें अमुक प्रकार का कष्ट या दंड देंगे। |
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धमकी :
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स्त्री० [हिं०] वह बात जो किसी को धमकाते हुए कही जाय। इस प्रकार का कथन कि यदि तुम आगे ऐसा करोगे (अथवा अमुक काम न करोगे) तो हम तुम्हें अमुक प्रकार का कष्ट या दंड देंगे। क्रि० प्र०—देना। मुहा०—(किसी की) धमकी में आना=किसी के धमकाने या धमकी देने पर उससे डरते हुए उसके अनुकूल आचरण या व्यवहार करना। |
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धमक्का :
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पुं०=धमाका।a |
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धमधमाना :
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स० [अनु० धम] १. कूद-फाँद या चल-फिर कर धम-धम शब्द उत्पन्न करना। २. धम-धम शब्द करते हुए थप्पड़ मुक्के आदि लगाना। अ० धम-धम शब्द होना। |
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धमन :
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पुं० [सं०√धम् (शब्द)+ल्युट—अन] १. किसी चीज में हवा फूँककर भरना। २. भाथी से हवा करना। धौंकना। ३. उक्त काम के लिए बनी हुई पोली नली। ४. धौंकनी। ५. नरकट। |
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धमन-भट्टी :
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स्त्री० [सं० धमन+हिं० भट्ठी] धातुएँ आदि गलाने की एक विशेष प्रकार की भट्ठी, जिसमें आग सुलगाने के लिए हवा बहुत तेजी से पहुँचायी जाती है। (ब्लास्ट फर्नेस) |
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धमना :
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स० [सं० धमन] १. धौंकना। २. नल आदि में भरकर हवा के जोर से कोई चीज अंदर पहुँचाना।a |
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धमना :
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अ०= धाना (दौड़ना)। |
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धमनि :
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स्त्री० [सं० धम्+अनि] १. प्रह्लाद के भाई ह्लाद की स्त्री जो वातापि और इल्वल की माता थी। २. वाक्-शक्ति। वाणी। ३. धमनी। नाड़ी। |
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धमनिका :
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स्त्री०[सं०] १. छोटी और पतली धमनी। (आर्टरी पोल) २. तुरही नाम का बाजा। (कौ०) |
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धमनी :
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स्त्री० [सं० धमनि+ङीष्] १. गर्दन। गला। २. शरीर के अंदर की उन नलियों या नसों या समूहों जिनके द्वारा हृदय से निकलकर चलने वाला रक्त सारे शरीर में पहुँचता या फैलता है। (आर्टरी) विशेष—सुश्रुत में इनकी संख्या २४ बतलायी गई है और कहा गया है कि इनकी छोटी-छोटी हजारों शाखाएँ सारे शरीर में फैली हुई हैं। इन छोटी-छोटी शाखाओं को धमनिका कहते हैं। ३. गमन या यातायात का कोई मुख्य मार्ग या साधन। जैसे—नदियाँ अथवा रेलें और सड़कें हमारे देश की धमनियाँ हैं। |
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धमसा :
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पुं० = धौंसा।a |
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धमा-चौकड़ी :
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स्त्री० [अनु० धम+हिं० चौकड़ी] १. ऐसी उछल-कूद, उपद्रव या ऊधम जिसमें रह-रहकर धम-धम शब्द भी होता हो। २. ऐसी मारपीट जिसमें उठा-पटक भी होती हो। ३. उपद्रव। ऊधम। क्रि० प्र०—मचना।—मचाना। |
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धमा-धम :
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क्रि० वि० [अनु० धम] १. धम-धम शब्द करते हुए (क) लड़के धमाधम नीचे कूद पड़े। (ख) उनपर धमा-धम थप्पड़ और मुक्के पड़ने लगे। २. लगातार। निरंतर। स्त्री० १. लगातार होनेवाला धमधम शब्द। लगातार गिरने, पड़ने आदि की आवाज। २. ऐसा आघात, प्रहार या मार-पीट जिसमें धम-धम शब्द भी होता हो। क्रि० प्र०—मचना।—मचाना। |
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धमाका :
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पुं० [अनु०] १. भारी वस्तु के गिरने से होने वाला धम शब्द। वेगपूर्वक नीचे कूदने या गिरने का शब्द। २. बहुत जोर से होने वाला ‘धम’ का सा शब्द। जैसे—बंदूक छूटने का धमाका। ३. धक्का। ४. आघात। प्रहार। ५. पथर कला बंदूक। ६.वह तोप जो हाथी पर लादकर चलती थी। |
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धमार :
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स्त्री० [अनु०] १. उछल-कूद। धमा-चौकड़ी। २. उत्पात। उपद्रव। ३. नटों की उछलकूद, कलाबाजी आदि। ४. एक विशेष प्रकार के लोकगीत जो मुख्यतः फागुन में पाये जाते हैं। अब इनका प्रवेश शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में भी हो गया है। मुहा०—धमार खेलना = आनंद-मंगल और क्रीड़-कौतुक करना। ५. उक्त गीत के साथ बजने वाला ताल। ५. वह क्रिया जिसमें कुछ लोग मंत्र-बल से दहकती हुई आग या जलते हुए कोयले पर चलते हैं। |
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धमारिया :
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पुं० [हिं० धमार] १. नट जो प्रायः उछल-कूद करते रहते हैं। २. उत्पाती या उपद्रवी व्यक्ति। ३. वह जो धमार गाने में निपुण हो। ४. वह जो मंत्र-बल आदि से जलती हुई आग या दहकते हुए अंगारों पर चलता हो। |
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धमारी :
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वि० [हिं० धमार]=धमारिया। स्त्री०=धमा-चौकड़ी। |
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धमाल :
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स्त्री०=धमार।a |
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धमाला :
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पुं० [सं० धूम्रनेत्र] [स्त्री० अल्पा० धमाली] दीवार में बना हुआ वह छेद, जिसका ऊपरी मुँह छत में खुलता है और जिसमें से धूआँ निकलकर बाहर जाता है। |
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धमाली :
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स्त्री० [हिं० धमार] जोगीड़े की तरह एक प्रकार के अश्लील गीत। |
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धमासा :
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पुं० [सं० यवासा] एक हाथ ऊँचा एक तरह का क्षुप, जिसमें तीक्ष्ण कंटक होते हैं। इसकी जड़ ताम्रवर्ण होती हैं। |
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धमिका :
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स्त्री० [सं०] लोहार जाति की स्त्री। लोहारिन। |
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धमिल :
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पुं० [सं०] सिर के बालों का बँधा हुआ जूड़ा। |
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धमूका :
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पुं० [अनु० धम] १. धमाका। २. घूँसा। मुक्का।a |
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धमेख :
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स्त्री० [सं० धर्म चक्र] सारनाथ (काशी) के पास का वह स्तूप जो उस स्थान पर बनाया गया था, जहाँ बुद्धदेव ने अपना धर्मचक्र अर्थात् धर्मोपदेश आरंभ किया था। |
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धम्मन :
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पुं० [देश०] एक प्रकार की घास जिसे चरवा भी कहते हैं। |
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धम्माल :
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स्त्री०=धमार। |
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धम्मिल्ल :
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पुं० [सं०√धम् (शब्द)+विच्,√मिल् (मिलन)+ क, पृषो० सिद्धि] सिर के बालों को लपेटकर बनाया जानेवाला जूड़ा। |
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धम्हा :
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पुं० दे० ‘धमन-भट्ठी’।a |
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